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15 सालों से भूले भटके लोगों को अपनों से मिलवा रहे हैं सुमित

  • Writer: Seniors Adda
    Seniors Adda
  • 5 days ago
  • 2 min read

1685 बच्चे, महिला, बुजुर्ग और मानसिक दिव्यांग लोगों को घर पहुंचा चुके हैं

सविता

समस्तीपुर के सुमित कुमार पिछले 15 सालों से भूले-भटके बच्चे, बुजुर्ग महिला और मानसिक दिव्यांग लोगों को ढूंढ़कर घर पहुंचाने के काम में लगे हैं। कई बार एक बच्चे का घर ढूंढने में साल दो साल भी लग जाते हैं, फिर भी उनका अभियान नहीं रुकता है। बच्चे द्वारा बताए शब्दों, पहनावे, बोल-चाल और खान-पान की आदतों से उनके घर-गांव का पता लगाते हैं। निरंतर स्थानीय लोगों से संपर्क बनाकर बच्चे को घर तक पहुंचाकर ही रुकते हैं। पिछले 15 सालों में 1685 लोगाें को उनके परिवार से मिलवा चुके हैं। सुमित समस्तीपुर बालगृह के अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। वह बताते हैं कि लोगों का परिवार ढूंढ़कर मिलवाने में जो खुशी मिलती है वह किसी बड़े काम को करके नहीं मिल सकती है। वह बताते हैं कि भूले-बिछड़े बच्चों को मिलाने के लिए पांच व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हुए हैं।इस ग्रुप में स्थानीय पुलिस से लेकर संस्थ, जागरूक लोग और कर्मचारी भी शामिल हैं। ऐसे लोगों को इस ग्रुप को जोड़े हैं जो बच्चों द्वारा बताए गए शब्दों के एक तार से उनके घर से जोड़ने के लिए काम करते हैं। उनके इस जज्बा, जुनून और नेक काम के लिए हरियाणा क्राइम ब्रांच, लुधियाना और तमिलनाडु पुलिस ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया है।


अपनों को खो चुके लोगों के दर्द ने इस काम के लिए किया प्रेरित

36 वर्षीय सुमित बताते हैं कि वह बालगृह में काम करते हैं। वह मूलत: वैशाली के रहने वाले हैं। वह बताते हैं कि काम करने के दौरान कई लोग बालगृह में अपने बच्चों को ढूंढ़ने के लिए आते हैं। बच्चों के लिए बदहवास माता-पिता, भाई-बहनों के दर्द ने उन्हें इस नेक काम को करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने तय किया कि उनसे जितना होगा, भूले-भटके लोगों को ढूंढ़ेंगे। वह बताते हैं कि साहिल नाम का बच्चा उनके बालगृह में रहता था। उस बच्चे से काफी लगाव था। वह उनके हाथ से ही खाना खाता था। मानसिक रूप से अस्वस्थ था। सिर्फ इतना पता था कि वह समस्तीपुर का रहने वाला है। लेकिन जिस गांव का नाम बच्चा बताता था, वह समस्तीपुर में था ही नहीं। उन्होंने उस गांव के नाम से बहुत सारे गांव में खोज की। अंत में सीतामढ़ी के थाने में पता चला कि साहिल नाम का बच्चा गुम है। इसके बाद उसके परिवार का पता लगाया और उसे घर पहुंचाया। एक ऐसे व्यक्ति राजू को मध्यप्रदेश के एक होटल में जबरदस्ती 20 साल से बंधक बनाकर रखे हुए था। उन्हें पता चला तो उन्होंने राजू को खोज निकाला और उसे टाटा पहुंचाया।


महाकुंभ में एक हजार से अधिक लाेगों को घर तक पहुंचाया

सुमित बताते हैं कि महाकुंभ में उत्तर प्रदेश सरकार ने भूले-भटके लोगों को परिवार से मिलाने के लिए यूनिसेफ की मदद से खोया-पाया काउंटर लगाया था। जिनके परिवार भटक जाते थे, वह अपना डिटेल्स लिखवाते थे। वहां से सूचनाएं इनके व्हाट्सएप ग्रुप पर आती थी। मिसिंग पर्सन सर्च ग्रुप पर लोगों का डिटेल्स आते ही लोगों से बात करना और जब कोई आदमी मिलता तो उनकी काउंसिलिंग करने का काम भी सुमित करते थे। वह बताते हैं कि लगभग एक हजार लोगों को उनके परिवार से मिलवाने का काम किया

 
 
 

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